जो आग होना चाहते हैं / सुलगते हैं बरसो / यह जानकर भी / कि राख हो जाएँगे!
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रविवार, 24 जून 2012
लहर थाह लेती है
लहर-बहर
एक लहर
लहर सागर की ।
सागर अथाह
अथाह जलराशि
'लहर ठहर ज़रा,'
पुकार-पुकार हारेंगे
लहर कभी रूकती है क्या !
लहर
थाह लेती है सागर की
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