मंगलवार, 24 अगस्त 2010

नुसरत की ऑंखें

नुसरत की आंखें 


समझ नहीं  आता  
वार करती हैं / या प्‍यार करती हैं
 फिर भी बहुत अच्‍छी हैं
नुसरत की आंखें


राह देख चलती हैं इनसे
जल्‍द भांप लेती है खतरा
भीतर तक झांक लेती है अक्‍सर
सबको टोहती रहती
लेकिन
उसको खुलके  बिखरने नहीं देतीं
नुसरत की आंखें


बकरियों की तरह फिरती
जाने कहां कहां दीख जाती
हंसी चुहल से बलखाती
कमसिन  नादां
भरी दुपहरी जेठ की
परछाइ को रौंदती 'जाती है कहां '
 अक्‍सर पूछती हैं
मछली सी तडपती
नुसरत की आंखें  


     *****




शनिवार, 7 अगस्त 2010

प्रेम उन्‍हें...

प्रेम उन्‍हें...



जिन्हें प्रेम  करना नहीं आता
वे बलात्कार  कर रहे हैं
जिन्हें बलात्कार करना नहीं आता 
वे हत्या कर रहे हैं 
जिन्हें हत्या करना नहीं आता 
वे आत्महत्त्या कर रहे हैं 
जिन्हें आत्महत्त्या करना नहीं आता 
वे जीने का साहस  कर रहे हैं 

उनका साहस एक न एक दिन 
सिखाएगा उन्हें प्रेम  
और वे बच सकेंगे  
बलात्कार के अभियोग से 

प्रेम उन्हें  पागल या  दीवाना बना सकता है 
वे बन -बन भटक सकते हैं  लैला - लैला  चिल्लाते हुए  
संगसार के शिकार हो सकते हैं  
लेकिन वे बच सकेंगे  हत्त्यारा होने से  
वे बच सकेंगे आत्महत्त्या से  या बुजदिल होने से 

उनका प्रेम उन्हें 
इतना साहस देगा 
की सारी दुनिया को सिखा सकेंगे प्रेम  
          00000
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...