बुद्धू !
चॉंद कहीं फलता है क्या ?
हॉं, एक आसमानी पेड़ था धरती पर
ऊपर सबसे ऊपर की शाख पर
अटका था चॉंद
और शाखों-टहनियों पर छिटके थे तारे
सच ! सबकुछ झिलमिला रहा था
पूरी धरती - पूरा आसमान
कोई चिडिया नहीं थी क्या ?
बुद्धू !
चिडिया सब सो रही थीं
घोसलों के किवाड बंद थे
कहीं कोई आवाज़ नहीं
बहुत सन्नाटा एकदम शांत सब
चिडिया सॉंस भी ले रही थीं या नहीं
कुछ मालूम नहीं ?
दूर-दूर तक फैले इस सन्नाटे में
सुनाई पडती है एक पुकार
तभी टूटकर गिर जाता है चॉंद धरती पर
और गु़म होता जाता है कहीं
छिटककर तारे चले जाते हैं न जाने कहॉं ?
नगाडे की आवाज़-सी
टूट पडती है रोशनी
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