जो आग होना चाहते हैं / सुलगते हैं बरसो / यह जानकर भी / कि राख हो जाएँगे!
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रविवार, 17 अप्रैल 2011
एक हाइकू....
तपती रेत
दिन भर हँसती
धूप समेत
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