पुराने दिन इतने पुराने हैं
कि यादों के कारखाने हैं
जाने क्या-क्या हैं यहाँ
बे-सिर-पैर के हज़ारों क़िस्से
बे-पर की उड़ाने
गुमशुदा दोस्ती की महक
बदग़ुमानी का मजा
अनचाहे प्यार की सजा
अचानक मिली ख़ुशियों की गुदगुदी
ख़ुद ही ख़ुद में बेख़ुदी
और तो और
बेहुदगी की बेहद हदें
बेतुकी बातों की ज़दे
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2 टिप्पणियां:
♥
आदरणीय उत्तमराव क्षीरसागर जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
अच्छी कविता है …
पुराने दिन इतने पुराने हैं
कि यादों के कारखाने हैं
वाह !
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
achcha prayas!!!!
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